केवल धर्म की परम कल्याणकारक
1 min read
😊 Please Share This News 😊
|
सनातन किरण (46)
एको धर्मः परं श्रेयः क्षमैका शान्तिरूत्तमा।
विद्यैका परमा तृप्तिरहिंसैका सुखवहा ।।
सन्दर्भ – पहला अध्याय, श्लोक संख्या 57,विदुर – नीति, महाभारत उद्योगपर्व से ।
अर्थ – केवल धर्म की परम कल्याणकारक है, एकमात्र क्षमा ही एकमात्र शांति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक विद्या ही परम संतोष देनेवाली है और एकमात्र अहिंसा ही सुख देनेवाली है।
सार – जीवन में धारण योग्य बातें (धर्म) ही कल्याण(भलाई) का साधन है, किसी को क्षमा करना ही शांति का सबसे श्रेष्ठ उपाय है, विद्या अर्जन एवं उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास संतोष प्रदान करने वाली है और अहिंसा सबसे बड़ी धर्म है जिससे सभी सुख महसूस करते हैं।
यहां पर यह भी जानना जरूरी है कि जिस तरह से अहिंसा परम धर्म है ठीक उसी तरह से स्व, परिवार, समाज और देश के बचाव में रक्षा हेतु हथियार उठाना धर्म और शास्त्र सम्मत है क्योंकि हिंसक के सामने केवल शांति की गीत नहीं गाई जा सकती है।
-अजीत सिन्हा
02 नवंबर 2022 दिन बुधवार
मोबाइल नंबर – 6202089385
आपका दिन शुभ हो
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |