निवार्चन अधिकारी ने उपचुनाव हेतु प्रत्याशियों को आदर्श आचार संहिता का पालन करने करने का दिया आदेश
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संवाददाता : :मैनपुरी :: अवनीश कुमार :: Date ::30 .11 .2022 ::जिला निवार्चन अधिकारी ने उपचुनाव हेतु प्रत्याशियों को आदर्श आचार संहिता का पालन करने को कहा
मैनपुरी – जिला निवार्चन अधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने लोकसभा उप निवार्चन-22 के प्रत्याशियों, राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों से कहा है कि भारत निवार्चन आयोग द्वारा निधार्रित आदर्श आचार संहिता का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करें। भारत निवार्चन आयोग ने निवार्चन प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन्न कराने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अन्तगर्त विभिन्न कार्यो, आचरण को अपराध की श्रेणी में माना है। उन्होने बताया कि किसी व्यक्ति के धर्म, मूलवंश, जाति समुदाय या भाषा के आधार पर किसी व्यक्ति के लिए मत देने या मत देने से विरत रहने का कार्य या अपील करने को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-123(3) में दण्डनीय अपराध माना है। लोक प्रतिनिधित्व अधि. की धारा-123(4) के अन्तगर्त किसी अभ्यथीर् के वैयक्तिक शील, आचरण के सम्बंध में या किसी अभ्यर्थी की अभ्यार्थर्ता, अभ्यार्थर्ता वापस लेने के सम्बंध में मिथ्या कथन का प्रकाशन करने, धारा-123(5) के अधीन उपबंधित मतदान केन्द्र के लिए या मतदान के लिए धारा-29 के अधीन नियत स्थान का उपयोग करने, धारा-125 लो. प. अधि. के तहत निवार्चन के सम्बन्ध में वर्गों के बीच शत्रुता सम्प्रवतिर्त करने को संज्ञेय अपराध माना है, जिसके अन्तगर्त 03 वर्ष तक का कारावास अथवा जुमार्ना या दोनों का प्राविधान किया गया है।
श्री सिंह ने बताया कि यदि किसी कायर्क्रम में इस प्रकार का व्यय किया गया है। जिससे प्रत्यक्ष रूप से मतदाता प्रभावित होते हों तो सम्बन्धित उम्मीदवार से उन व्ययों के सम्बन्ध में हिसाब माॅगा जायेगा तथा आवश्यक हुआ तो उसके विरूद्ध धारा-171 एच भारतीय दण्ड संहिता के अन्तगर्त कायर्वाही होगी। किसी अभ्यर्थी, उसके अभिकतार् द्वारा अथवा किसी अभ्यर्थी, निवार्चनकर्ता की सहमति के प्रतितोषण दान, निवार्चन में मत देने या न देने या ईनाम देने के अन्य कार्य करना जिससे मतदान को प्रभावित किया जा सके, को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-123(1) के तहत भ्रष्ट आचरण माना गया है। उन्होने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-126 के अन्तगर्त मतदान की समाप्ति के लिए नियत किये गये समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घण्टो की कालावधि पर सावर्जनिक सभाओं पर प्रतिषेध को असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। जिसके तहत 02 वर्ष तक की सजा या जुमार्ना या दोनों का प्राविधान है।
जिला निवार्चन अधिकारी ने बताया कि मतदान केन्द्रों में या उनके निकट 100 मी. की परिधि में मत संयाचना का प्रतिषेध लोक प्रतिनिधित्व अधि. की धारा-130 संज्ञेय अपराध होगा। मतदान केन्द्र में या उसके निकट अस्त्र-शस्त्र लेकर जाने का प्रतिषेध करने को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-134 (ख) में संज्ञेय अपराध माना गया है। जिसका उल्लघंन करने पर 02 वर्ष तक की सजा या जुमार्ना तथा दोनों का प्राविधान है। धारा-135(क) के तहत बूथ के बलात् ग्रहण को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। जिसमें 03 वर्ष से 05 वर्ष तक की सजा और जुमार्ने का प्राविधान है। उन्होने बताया कि मतदान के दिन शराब की बिक्री, वितरण किये जाने को असंज्ञेय अपराध की श्रेणी रख 06 माह तक की सजा या 02 हजार रू. तक के जुमार्ने का प्राविधान है।
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