Lakhimpur News:लखीमपुर खीरी में जिला सहकारी बैंक राजापुर मण्डी शाखा के लॉकर को काट कर 32 लाख रुपये चोरी करने वाले गिरोह को गिरफ्तार कर किया पर्दाफांस :बहुजन प्रेस
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संवाददाता :: लखीमपुर खीरी::अमरेंद्र सिंह {LMP} :: Published Dt.25.01.2023 :Time:5:20PM: लखीमपुर खीरी में जिला सहकारी बैंक राजापुर मण्डी शाखा के लॉकर को काट कर 32 लाख रुपये चोरी करने वाले गिरोह को गिरफ्तार कर किया पर्दाफांस :बहुजन प्रेस
बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)
Lakhimpur News । ब्यूरो रिपोर्ट : अमरेंद्र सिंह । प्रेस नोट जनपद खीरी दिनांक 25.01.2023 जिला सहकारी बैंक में हुई चोरी की घटना का सफल अनावरण; 01 नफर अन्तर्राज्यीय बैंक कटर सरगना अपने 02 नफर साथियों के साथ (बैंक चोरी के रुपये व चोरी करने के उपकरण) सहित गिरफ्तार
दिनांक 16.01.2023 को जनपद खीरी के जिला सहकारी बैंक राजापुर मण्डी शाखा के लॉकर को काट कर 32 लाख रुपये चोरी के समबन्ध में थाना कोतवाली सदर पर मु0अ0सं0 50/23 धारा 457/380 भादवि बनाम अज्ञात पंजीकृत किया गया था।
पुलिस अधीक्षक खीरी, गणेश प्रसाद साहा द्वारा घटना की गम्भीरता को देखते हुए क्षेत्राधिकारी सदर, संदीप सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीमों का गठन किया गया था। जिसके क्रम में दिनांक 24/25.01.2023 की रात्रि समय करीब 00.08 बजे पुलिस टीम को सूचना प्राप्त हुई कि एक कार हुंडई ऐसेंट (MH 28 C 4128) जिसके अन्द कुछ संदिग्ध लोग बैठे है। जो शारदानगर से लखीमपुर शहर की तरफ जा रही है। उक्त सूचना पर पुलिस द्वारा वाहनो की चेकिंग की जा रही थी कि उसी समय एक कार तेज रफ्तार से रेलवे ओवर ब्रिज की तरफ आ रही थी जिसे रोकने का प्रयास करने पर कार चालक कार को गोला रोड की तरफ तेज रफ्तार से मोड़कर जाने लगा जिसे पुलिस द्वारा घेराबन्दी कर पकड़ लिया गया। जिसमें सवार तीनों व्यक्तियो से गहनता से से पूछताछ की गयी तो तीनो व्यक्तियो ने एक साथ बताया कि, हम तीनो लोग मिलकर बैंको की रैकी करते है और उसके बाद जो बैंक एकान्त मे मिलती है जहां आसानी से पहुंच सके उसी बैंक मे मौका पाकर जब बैंक मे 02 या 03 दिन की छुट्टी पडती है तभी हम लोग उस बैंक की खिडकी या दीवार को काट कर अन्दर रखे कैश शेफ को गैस कटर से काट कर लाकर के अन्दर रखे रुपये को चोरी कर लेते है, हम दोनो लोग (हरि प्रसाद व सुरेश काशी राव) अमरावती महराष्ट्र से दिनांक 04.01.2023 को हुण्डई एसेन्ट से लखीमपुर अपने साथी राजेन्दर के बताये गये मुखबिरी के आधार पर आये थे व लखीमपुर मे रेलवे स्टेशन के पास पुल के नीचे सलूजा होटल मे कमरा किराये पर लेकर उसी मे दोनो लोग रुके थे जब हम लोग होटल पर पहुंचे थे उससे पहले ही अपनी कार की सही नम्बर प्लेट को उतार कर फर्जी नम्बर प्लेट लगा लिया था, जिसका नम्बर हम लोगो ने होटल मे भी लिखाया था, जिसके बाद हम दोनो लोग राजेन्दर के बतायो अनुसार राजापुर मण्डी के अन्दर जिला सहकारी बैंक जाकर बैक का जायजा लिया व राजेन्दर के तय शुदा योजना पर आने का इन्तजार करने लगे तथा हम लोगो ने अपने एक अन्य साथी तुषार उर्फ रिषभ को बुलाया वह भी आ गया और हमारे साथ उसी होटल के मेरे ही कमरे रुका जिसके बाद हम लोगो ने मिलकर शहर की ही दुकान से बैंक को काटने के लिये उपकरण खरीदे थे साहब जिसके बाद हम लोगो ने बैंक मे चोरी की घटना को राजेन्दर की मुखबरी के आधार पर राजेन्दर व उसके अन्य साथी के आ जाने पर चोरी की घटना किये थे जिसमे बैंक से नगदी करीब सोलह लाख रुपये कुल मिला था बहुत पैसा लाकर काटते समय गैस की आग से जल गया था जो साबुत रुपया मिला था वह करीब सोलह लाख रुपया ही था हम लोगो की टीम को छः लाख रुपये मिले थे जिसमे मैने अपने साथी हरिप्रसाद को एक लाख व तुषार को पचास हजार रुपये दिये थे बाकी पैसा मेरे पास मौजूद था बाकी पैसा राजेन्दर व उसके साथ मे मौजूद अन्य साथी जो राजेन्दर के साथ आया था वह दोनो अपने साथ ले गये है जला हुआ पैसा किसी काम का नही बचा था, हम लोग चोरी करने के बाद अपनी उसी कार से जाते समय जली नोटो को बोरी से निकालकर व दोनो आक्सीजन सिलण्डर को हम लोगो ने हनुमान मन्दिर के आगे पडने वाली नदी मे फेक दिया था, तथा एलपीजी सिलेण्डर को राजेन्दर अपने साथ लेकर चला गया था साहब आज जो आप लोगो ने हमलोगो के पास व बैग से रुपया बरामद किया है वह हम लोगो ने जिला सहकारी बैंक मण्डी लखीमपुर खीरी से चोरी किया था यह वही रुपया है साहब काफी रुपया हम लोगो ने खर्च कर दिया है, तथा कार की डिग्गी से मिले बैग के अन्दर रखे उपकरणो के सम्बन्ध मे पूछागया तो बताया कि, साहब इन्ही उपकरणो से हम लोगो ने बैंक की तिजोरी को काटकर उसमे रखे रुपये चोरी किया था पकडे हुए तीनो व्यक्तियो से बरामद नम्बर प्लेटो के बारे मे पूछा गया तो तीनो ने एक साथ बताया कि, साहब जब हम लोग चोरी करने के लिये जाते है तो कार की पहचान छुपाने के लिये फर्जी नम्बर प्लेट लगा लेते है कि जिससे हमलोग पकड मे ना आये जिनसे कार हुण्डई एसेण्ट के कागजात मागे गये तो नही दिखा । जिसको ई चालान एप से ऑनलाइन चेक किया गया तो नम्बर सही पाया गया तथा गाडी पर मौजूद नम्बर प्लेट फर्जी कूटरचित कर नम्बर प्लेट तैयार कर लगाया गया है।
गिरफतार अभियुक्तों का विवरण-
1-सुरेश उमक उर्फ सागर देशमुख उर्फ सुरेश काशीनाथ उमक पुत्र काशीनाथ उमक निवासी मोरशी अमरावती रूलर महाराष्ट्र/ कमलापुर श्रीखेर अमरावती रूलर राज्य महाराष्ट्र 2-तुषार कुमार उर्फ रिषभ पुत्र शिवसागर निवासी देवकली करनपुर जनपद प्रतापगढ उ0प्र0। किराये पर हरिप्रसाद पुत्र हीरालाल नि0 देवकली करनपुर जनपद प्रतापगढ उ0प्र0 3- हरिप्रसाद पुत्र हीरालाल नि0 देवकली करनपुर जनपद प्रतापगढ उ0प्र0
बरामदगी-
1- चार लाख पॉच हजार रूपये नकद 2-दो अदद वायर कटर 3- एक अदद प्लास 4-एक अदद गैस पाइप 5-एक अदद चाकू कटर 6- दो अदद स्क्रू डाइवर 7-दो अदद नम्बर प्लेट 8- एक अदद टार्च 9-चार अदद लोहा आरी ब्लेड 10- 10 अदद पाइप क्लिप 11-एक अदद स्क्रू रिंच 12- दो अदद 13- एक अदद गैस लाइटर 14-एक पैकेट ऐरेलडाइड 15- आठ अदद गैस कटिंग नोजल सेट 16-एक अदद गैस कटर 17-एक अदद गैस कटर प्रेसर/आक्सीजन रैगुलेटर 18-01 अदद टच मोबाइल,02 अदद कीपैड मोबाइल 19-एक कार हुंडई ऐसेंट – एम0 एच0 28 सी 4128 20- एक अदद देसी तमंचा 315 बोर,02 अदद जिंदा कारतेस।
आपराधिक इतिहास–
सुरेश उमक उर्फ सागर देशमुख उर्फ सुरेश काशीनाथ उमक पुत्र काशीनाथ उमक निवासी मोरशी अमरावती रूलर महाराष्ट्र/ कमलापुर श्रीखेर अमरावती रूलर राज्य महाराष्ट्र
1-मु0अ0सं0 65/98 धारा 380/454/457भा0द0वि थाना लोनीकार भोर पूणे राज्य महाराष्ट्र। 2-मु0अ0सं0 222/98 धारा 380/454/458 भा0द0वि थाना बूंद गार्डन पूणे राज्य महाराष्ट्र। 3-मु0अ0सं0 111/99 धारा 380/461 भा0द0वि थाना पाउण्ड जिला पूणे राज्य महाराष्ट्र। 4-मु0अ0सं0 215/99 धारा 380/457 भा0द0वि थाना धुले सिटी जनपद धुले राज्य महाराष्ट्र। 5-मु0अ0सं0 02/2000 धारा 380/454/457 भा0द0वि थाना श्रीखेड राज्य महाराष्ट्र। 6-मु0अ0सं0 199/2000 धारा 380/454/457भा0द0वि थाना मोरशी राज्य महाराष्ट्र। 7-मु0अ0सं0 140/2000 धारा 380/457/511 भा0द0वि थाना श्रीखेड राज्य महाराष्ट्र। 8-मु0अ0सं0 111/2002 धारा 135/143/341/355 भा0द0वि थाना मोरशी राज्य महाराष्ट्र।
9-4-मु0अ0सं0 229/2004 धारा 398/307 भा0द0वि थाना तुमगांव जिला महासामुण्ड राज्य छत्तीसगढ। 10-मु0अ0सं0 35/2004 धारा 380/457 भा0द0वि थाना केलवाड जिला नागपुर राज्य महाराष्ट्र। 11-मु0अ0सं0 71/11 धारा 34/ 380/457 भा0द0वि थाना रत्नागिरी जनपद रत्नागिरी राज्य महाराष्ट्र। 12-मु0अ0सं0 35/12 धारा 380/457 भा0द0वि थाना लंजा जनपद रत्नागिरी राज्य महाराष्ट्र। 13-मु0अ0सं0 255/12 धारा 381/457 भा0द0वि थाना गेलरई बीडराज राज्य महाराष्ट्र। 14-मु0अ0सं0 47/13 धारा 380/457 भा0द0वि थाना खुलताबाद जनपद औरगाबाद राज्य महाराष्ट्र। 15-मु0अ0सं0 70/13 धारा 380/427/457 भा0द0वि थाना बरमाती जनपद पूणे राज्य महाराष्ट्र। 16-मु0अ0सं0 97/13 धारा 380/457 भा0द0वि थाना इंदरपुर जनपद पूणे राज्य महाराष्ट्र। 17-मु0अ0सं0 3062/13 धारा 3/25 आम्र्स एक्ट भा0द0वि थाना सतारा जनपद औरंगाबाद राज्य महाराष्ट्र। 18-मु0अ0सं0 220/13 धारा 399/402 भा0द0वि थाना सीरूर जनपद पूणे ग्रामीण राज्य महाराष्ट्र। 19-मु0अ0सं0 150/14 धारा 400/401 भा0द0वि थाना एम0आईडीसी0 सी0आईडीसी0ओ0 जनपद औरंगाबाद राज्य महाराष्ट्र। 20-मु0अ0सं0 75/15 धारा 380/457 भा0द0वि थाना धोकी जनपद ओसमानाबाद राज्य महाराष्ट्र। 21-मु0अ0सं0 26/16 धारा 380/511 भा0द0वि थाना तुलजापुर जनपद ओसमानाबाद राज्य महाराष्ट्र। 22-मु0अ0सं0 52/2020 धारा 380/457 /511 भा0द0वि थाना अरी सिओनी राज्य महाराष्ट्र। 23-मु0अ0सं0 420/2022 धारा 201/380/457 भा0द0वि थाना बहारी जनपद सिंधी राज्य मध्यप्रदेश। 24- मु0अ0सं0 50/23 धारा 457/380 /411/419/420/467/468/471/472 भा0द0वि0व 3/25 आम्र्स एक्ट थाना कोतवाली सदर जनपद खीरी उ0प्र0
सुरेश उमक उर्फ सागर देशमुख उर्फ सुरेश काशीनाथ उमक पुत्र काशीनाथ उमक निवासी मोरशी अमरावती रूलर महाराष्ट्र/ कमलापुर श्रीखेर अमरावती रूलर राज्य महाराष्ट्र ,विभिन्न राज्यो मे नाम बदल कर रहता है। वर्ष 1991 से चोरी व डैकती करने वाले उमक पर महाराष्ट्र,छत्तीसगढ,मध्यप्रदेश आदि राज्यों मे विभिन्न धाराओं मे दर्जनों मुकदमे पंजीकृत है। पुलिस से अपनी पहचान छुपाने के लिए वर्ष 2010 मे चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी कराई जिससे पुलिस पहचान न सके और घटना कर आसानी से फरार हो सके।
वर्तमान मे सुरेश उमक उर्फ सागर देशमुख उर्फ सुरेश काशीनाथ उमक पुत्र काशीनाथ उमक निवासी मोरशी अमरावती रूलर महाराष्ट्र/ कमलापुर श्रीखेर अमरावती रूलर राज्य महाराष्ट्र को कई राज्यों की पुलिस बैंक चोरी के अपराध मे तलाश कर रही है। शातिर अपराधी द्वारा उत्तर प्रदेश के कई जिलो मे रैकी करके जिला सहकारी बैंक को टारगेट करने की योजना बनाई। जनपद खीरी मे जिला सहकारी बैंक राजापुर मे दिनाँक 14.01.2023 व 15.1.2023 की रात्रि को गैस कटर से तिजोरी को काट कर 32 लाख रूपये चोरी किये।
गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम- 1- प्रभारी निरीक्षक चन्द्रशेखर सिंह कोतवाली सदर 2-निरीक्षक राजेश यादव कोतवाली सदर
3-प्रभारी सर्विलांस सेल शिव कुमार 4-उ0नि0 निराला तिवारी चैकी प्रभारी एल0आर0पी0 4- उ0नि0 टीटू कुमार चैकी प्रभारी राजापुर थाना कोतवाली सदर 5-हे0 का0 शराफत अली सर्विलांस सेल 4- हे0 का0 आशीष सिंह चैहान सर्विलांस सेल 5-हे0 का0 अविनाश सिंह थाना कोतवाली सदर
6- का0 ओम मिश्रा स्वाट टीम 7- का0 देवेन्द्र सिंह स्वाट टीम 8- का0 योगेश तोमर स्वाट टीम 9-का0 शरद राज थाना कोतवाली सदर 10- विकास चैहान थाना कोतवाली सदर 11-का0 महताब आलम सर्विलांस सेल 12- का0 अजीत थाना कोतवाली सदर। 13- का0 सिंकदर स्वाट टीम 14- का0 विक्रांत स्वाट टीम 15- का0 गोल्डन स्वाट टीम 16- का0 आनन्द स्वाट टीम 17-का0 परिक्षित चैरसिया साइबर सेल
इसलिए मैं कहता हूं: प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो
संत रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और जातिपाति का घोर खंडन किया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।Bahujan Movement:
संत रैदास स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उनके शिष्य उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में जिस परमेश्वर राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि का गुणगान किया गया है।सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। एक ही अलौकिक शक्ति है और कोई दूजा नहीं है। सभी मनुष्य सामान है कोई ऊच नीच नहीं है।ऊच नीच जैसी सामाजिक बुराई सभी चालाक लोग अपने फायदे के लिए बनाये है। ईश्वर सभी को सामान दृष्टि से देखता है। मानव मानव में कोई भेद नहीं है।
कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा ॥
चारो वेद के करे खंडौती । जन रैदास करे दंडौती।।
संत रविदास का विश्वास था कि ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार, परहित-भावना तथा सद्व्यवहार का पालन करना अत्यावश्यक है। अभिमान त्याग कर दूसरों के साथ व्यवहार करने और विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। अपने एक भजन में उन्होंने कहा है-
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै॥
संत रविदास के विचारों का आशय यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान शून्य रहकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफल रहता है जैसे कि विशालकाय हाथी शक्कर के कणों को चुनने में असमर्थ रहता है जबकि लघु शरीर की पिपीलिका (चींटी) इन कणों को सरलतापूर्वक चुन लेती है। इसी प्रकार अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है Bahujan Movement:
साहित्यकार मुंशी प्रेम चन्द
Dt.15 January 2023। Mukesh Bharti ।हिंदी के महान साहित्यकार मुंशी प्रेम चन्द का नाम किसने नहीं सुना और पढ़ा नहीं है लेकिन अधिकांश लोग उनके बारे में नहीं जानते है। मुंशी प्रेम चन्द उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, मुंशी प्रेम चन्द का जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था और अंतिम साँस 8 अक्टूबर 1936 को लेकर इस दुनिया से विदाई ली। अपने कहानी और उपन्यास के माध्यम अपनी पहचान स्थापित किया और लोगो के दिलों में लम्बे समय तक राज किया। आज भी मुंशी प्रेम चन्द जी के साहित्य के बिना साहित्य की पढ़ाई अधूरी है।
मुंशी प्रेम चन्द उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव जी हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। गबन, कर्मभूमि, गोदान ने तो खूब धमाल मचाया। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा।
मुंशी प्रेम चन्द उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव ने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में चली गयी और प्रेस बन्द करना पड़ा। अंतिम दिनों में प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है। हिन्दी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखण्ड को ‘प्रेमचंद युग’ या ‘प्रेमचन्द युग’ कहा जाता है।
“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।
” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”
आईपीसी की धारा 323 में विधि का क्या प्राविधान है
IPC की धारा 323 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है तो वह व्यक्ति धारा 323 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022
अथवा
स्वेच्छया उपहति/चोट कारित करने के लिए दण्ड। उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 334 में उपबंध है ,जो कोई स्वेच्छया उपहति करीत करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवश्य एक वर्ष तक की हो सकरगि , या जुर्माने से जो 1000 रूपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दण्डित किया जायेगा।
उपहति /चोट से आशय ; जो कोई किसी व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा , रोग या अंग -शैथिल्य कारित करता है, वह उपहति करता है। यह कहा जाता है।
विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022
नोट : दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार : यह जमानतीय और असंज्ञेय अपराध है जमानत कोई जुडिसियल मजिस्ट्रेट दे सकता है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड:
आज़ादी के आंदोलन में हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे : 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर बिना बताये ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। इस कांड में मारे गए लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। इस हत्या काण्ड का बदला लेने के लिए वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022
क्या है रॉलेट एक्ट 1919 को जाने :
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
जलियांवाला बाग हत्या काण्ड की पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ। 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया। इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई। घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।इस बड़ी भीड़ को तितर बितर करने के लिए ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा। सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दी दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022
महान दार्शनिक रजनीश ओशो
प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो
Dt.7 January 2023। Mukesh Bharti ।आधुनिक युग के महान दार्शनिक रजनीश ओशो ने जीवन जीने की नई ऊर्जा दी। संभोग में समाधि नामक अपने दर्शन की किताब में इस नये आयाम दिया मनुष्य अपने जीवन को नर्क बना देता है जीवन भर सेक्स के पीछे भागता रहता है जबकि जीवन का लक्ष्य कुछ और ही है।
“जो उस मूलस्रोत को देख लेता है…”।
यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है : वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है। वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है।
जिसको मैंने, ” संभोग से समाधि की ओर ” कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं | एक तो रति है मनुष्य की — स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है? — या आभास होता है कम से कम। फिर “एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो। “एक तो रति है – दूसरे से मिलने की। और एक रति है – अपने से मिलने की। ” जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है। ” संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है।” ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
प्रेम क्या है? कामवासना का मूलस्रोत क्या है? यौन-ऊर्जा का रूपांतरण कैसे संभव? क्या संभावनाएं हैं मनुष्य की?
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक अनुक्रम
1: संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा 2: संभोग : अहं-शून्यता की झलक 3: संभोग : समय-शून्यता की झलक 4: समाधि : अहं-शून्यता, समय-शून्यता का अनुभव 5: समाधि : संभोग-ऊर्जा का आध्यात्मिक नियोजन 6: यौन : जीवन का ऊर्जा-आयाम 7: युवक और यौन 8: प्रेम और विवाह 9: जनसंख्या विस्फोट 10: विद्रोह क्या है 11: युवक कौन 12: युवा चित्त का जन्म 13: नारी और क्रांति 14: नारी—एक और आयाम 15: सिद्धांत, शास्त्र और वाद से मुक्ति 16: भीड़ से, समाज से—दूसरों से मुक्ति 17: दमन से मुक्ति 18: न भोग, न दमन—वरन जागरण
विवरण: जीवन-ऊर्जा रूपांतरण के विज्ञान पर ओशो द्वारा दिए गए 18 प्रवचनों का संकलन।
उद्धरण : संभोग से समाधि की ओर – पहला प्रवचन – संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा
“जिस आदमी का ‘मैं’ जितना मजबूत है, उतनी ही उस आदमी की सामर्थ्य दूसरे से संयुक्त हो जाने की कम हो जाती है। क्योंकि ‘मैं’ एक दीवाल है, एक घोषणा है कि मैं हूं। मैं की घोषणा कह देती है: तुम ‘तुम’ हो, मैं ‘मैं’ हूं। दोनों के बीच फासला है। फिर मैं कितना ही प्रेम करूं और आपको अपनी छाती से लगा लूं, लेकिन फिर भी हम दो हैं। छातियां कितनी ही निकट आ जाएं, फिर भी बीच में फासला है–मैं ‘मैं’ हूं, तुम ‘तुम’ हो। इसीलिए निकटतम अनुभव भी निकट नहीं ला पाते। शरीर पास बैठ जाते हैं, आदमी दूर-दूर बने रह जाते हैं। जब तक भीतर ‘मैं’ बैठा हुआ है, तब तक दूसरे का भाव नष्ट नहीं होता।
सार्त्र ने कहीं एक अदभुत वचन कहा है। कहा है कि दि अदर इज़ हेल। वह जो दूसरा है, वही नरक है। लेकिन सार्त्र ने यह नहीं कहा कि व्हाय दि अदर इज़ अदर? वह दूसरा ‘दूसरा’ क्यों है? वह दूसरा ‘दूसरा’ इसलिए है कि मैं ‘मैं’ हूं। और जब तक मैं ‘मैं’ हूं, तब तक दुनिया में हर चीज दूसरी है, अन्य है, भिन्न है। और जब तक भिन्नता है, तब तक प्रेम का अनुभव नहीं हो सकता।
प्रेम है एकात्म का अनुभव। प्रेम है इस बात का अनुभव कि गिर गई दीवाल और दो ऊर्जाएं मिल गईं और संयुक्त हो गईं। प्रेम है इस बात का अनुभव कि एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति की सारी दीवालें गिर गईं और प्राण संयुक्त हुए, मिले और एक हो गए। जब यही अनुभव एक व्यक्ति और समस्त के बीच फलित होता है, तो उस अनुभव को मैं कहता हूं–परमात्मा। और जब दो व्यक्तियों के बीच फलित होता है, तो उसे मैं कहता हूं–प्रेम।
अगर मेरे और किसी दूसरे व्यक्ति के बीच यह अनुभव फलित हो जाए कि हमारी दीवालें गिर जाएं, हम किसी भीतर के तल पर एक हो जाएं, एक संगीत, एक धारा, एक प्राण, तो यह अनुभव है प्रेम। और अगर ऐसा ही अनुभव मेरे और समस्त के बीच घटित हो जाए कि मैं विलीन हो जाऊं और सब और मैं एक हो जाऊं, तो यह अनुभव है परमात्मा।
इसलिए मैं कहता हूं: प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो
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