Mainpuri News:ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, गंगा-जमुनी तहजीव के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश जल्द ही औद्योगिक क्षेत्र में भी नये आयाम स्थापित करेगा – जिलाधिकारी:बहुजन प्रेस  – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

Mainpuri News:ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, गंगा-जमुनी तहजीव के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश जल्द ही औद्योगिक क्षेत्र में भी नये आयाम स्थापित करेगा – जिलाधिकारी:बहुजन प्रेस 

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संवाददाता :: मैनपुरी::अवनीश कुमार  {C016} :: Published Dt.25.01.2023 :Time:9:30PM :ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, गंगा-जमुनी तहजीव के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश जल्द ही औद्योगिक क्षेत्र में भी नये आयाम स्थापित करेगा – जिलाधिकारी:बहुजन प्रेस 


अवनीश कुमार -ब्यूरो चीफ मैनपुरी

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)


Mainpuri News ।  ब्यूरो रिपोर्ट :अवनीश कुमार  । उत्तर प्रदेश की पहचान सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर है, उ.प्र. ने आजादी के बाद से हर क्षेत्र में विकास कर देश में ग्रोथ इंजन के रूप में उबरा है- राम नरेश अग्निहोत्री

प्रदेश 01 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का पहला प्रदेश बनेगा, शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित होंगे-पूर्व मंत्री, विधायक भोगांव

ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, गंगा-जमुनी तहजीव के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश जल्द ही औद्योगिक क्षेत्र में भी नये आयाम स्थापित करेगा – जिलाधिकारी

मैनुपरी – पूर्व मंत्री, विधायक भोगांव रामनरेश अग्निहोत्री ने श्रीदेवी मेला एवं ग्राम सुधार प्रदर्शनी के कादंबरी रंगमंच पर 03 दिवसीय उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश कोई राज्य नहीं बल्कि विश्व के कई देशों से आबादी, अर्थव्यवस्था में बड़ा है, 25 करोड की आबादी वाले इस प्रदेश की पहचान देश में नहीं बल्कि विश्व पटल पर है, इसी प्रदेश की धरती पर मर्यादा पुरूषोत्तम राम ने जन्म लिया, भगवान श्रीकृ ष्ण की जन्मस्थली – कर्मस्थली भी इसी प्रदेश में है, भगवान भोलेनाथ का भव्य कोरिडोर भी इसी प्रदेश की पहचान है, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विरासत ही इस प्रदेश की पहचान है। उन्होने कहा कि ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, सांस्कृति प्रतिष्ठा वाला यह प्रदेश हमारे लिये अद्वितीय है, हम सौभाग्यशाली है, कि हमने उ.प्र. में जन्म लिया है। उन्होने कहा कि प्रदेश में विकास को गति प्रदान करने, उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए अलगे माह राजधानी लखनऊ में उद्यमियों का सम्मेलन हो रहा है, जिसमें 17 लाख करोड़ रू. का निवेश होने की सम्भावना है, इस निवेश से प्रदेश में बड़े औद्योगिक कारखाने स्थापित होने का सपना पूरा होगा, जिस दिन यह कारखाने क्रियाशील होगें, तब उ.प्र. देश का ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक प्रदेश के रूप में उभरेगा, प्रदेश में नये-नये रोजगार खुलेंगे, उनमें लाखों बेरोजगार नौजवनों को रोजगार मिलेगा और उसमें जो निवेश आयेगा उससे राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी, प्राप्त राजस्व से विकास कार्यों की गति मिलेगी, प्रदेश से गरीबी समाप्त होगी।विधायक भोगांव ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने भारत को 05 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखा है, जब देश 05 ट्रिलियन डालर की इकॉनोमी बनेगा, जो विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी उसमें प्रदेश की 01 ट्रिलियन डालर की भागीदारी होगी, विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की पहचान होगी। उन्होने कहा कि प्रदेश के अंदर सड़कों की बेहतरीन कनेक्टविटी के जाल बिछाने का कार्य, पुलों का निर्माण, हर जनपद में मेडिकल कॉलेज की स्थापना से प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर होगा, देश को पहचान दिलाने में उ.प्र. का सबसे अधिक योगदान है।

जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ऋषि-मुनियों की तपोभूमि, गंगा-जमुनी तहजीब के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश ने विकास, शिक्षा, चिकित्सा, औद्योगिकरण आदि क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किए हैं, विगत कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश विकास के मानचित्र पर तेजी से उभरा है, विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं, निरंतर निवेश के कारण बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना प्रदेश में हुई जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के संसाधन मुहैया हुए विकास से वंचित समाज के अंतिम पायदान तक के व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए तमाम जनकल्याणकारी, लाभार्थीपरक योजनाएं संचालित हुईं, जिनका लाभ पाकर आज प्रदेश का हर नागरिक विकास की मुख्यधारा में शामिल होकर सम्मान के साथ जीवन यापन कर रहा है। उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में प्रदेश ने अग्रणी भूमिका अदा की है, औद्योगिक विकास अवस्थापना, रोजगार सृजन में प्रदेश ने नये मानक तय किये हैं, आने वाले वर्षों में हमारे युवाओं को रोजगार के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।पैराडाइज्ड स्कूल की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, विद्यालय के छात्रों ने देशभक्ति पर आधारित सामूहिक नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी वहीं सांस्कृतिक विभाग द्वारा पंजीकृत वैष्णवी ग्रुप के कलाकारों द्वारा अतुल्य उ.प्र. पर मोहक प्रस्तुति दी। उ.प्र. स्थापना दिवस के अवसर पर खादी ग्रामोद्योग वार्ड द्वारा वित्तपोषित विनोवा ग्रामोदय आश्रम कुरावली, उ.प्र. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अन्तर्गत पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के कल्याणार्थ योजनाएं, जेशना नमकीन, क्षिद्रा महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा माला एवं लिफाफे बनाने कार्य देव श्री महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा मोमबत्ती बनाना, जाहरवीर महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा दोना – प्लेट, अनमोल महिला स्वयं सहायता समूह की विद्युत सखी रामा पाण्डेय, जाहरवीर महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित मसाला, शंकर जी महिला स्वयं सहायता समूह की बी.सी. सखी, महामाया महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा मसाला चक्की, मत्स्य विभाग, जय दुर्गे माँ महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा कपड़े के पैरदान, कृषि विभाग उ.प्र., शीतला मॉ स्वयं सहायता समूह द्वारा मसाला उद्योग, दुर्गा महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा झाडू, जाहरवीर महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा रेडीमेट कपड़े, बाबा जाहरवीर स्वयं सहायता समूह द्वारा रेडीमेट वस्त्र, जय भोले बाबा स्वयं सहायता समूह द्वारा कॉस्मेटिक का सामान, बाबा जाहरवीर महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा झाडू उत्पादक, सांई बाबा महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा कॉस्मेटिक विकय, शिव महिला रिया चूड़ी सेंटर समूह एवं जनरल स्टोर, जय दुर्गा माँ महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा मधुमक्खी पालन, जरी जरदोजी एवं कड़ाई सेंन्टर, भोले बाबा महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा डेयरी फार्मिंग, वर्मी कम्पोस्ट एवं कीटनाशक, जय दुर्गे महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा गाय के गोबर से निर्मित दीपक व अन्य उत्पाद, ओम सांई महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा टॉयलेट क्लीनर के स्टॉल द्वारा प्रचार-प्रसार किया गया।
इस दौरान पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार, मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, अपर जिलाधिकारी राम जी मिश्र, उप जिलाधिकारी सदर नवोदित शर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार वर्मा, जिला पंचायत राज अधिकारी अविनाश चंद्र, जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्योति शाक्य, खादी ग्रामोद्योग अधिकारी पवन यादव, अरविंद तोमर, विशंभर तिवारी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, शिक्षक, गणमान्य व्यक्ति आदि उपस्थत रहे. कार्यक्रम का संचालन डा. अल्का पाठक ने किया। पर्यटन अधिकारी प्रदीप टमटा ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त करते हुये उ. प्र. स्थापना दिवस पर विस्तार से जानकारी दी।



stikar kabir ki vani

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।


Stikar Aaj ka suvichar” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”


आईपीसी की  धारा 323 में विधि का  क्या प्राविधान है

Kanooni salah

Mukesh Bharti
Adv. Mukesh Bharti

IPC की धारा 323 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है  तो वह व्यक्ति धारा 323 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022

अथवा 

स्वेच्छया उपहति/चोट कारित करने के लिए दण्ड। उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 334 में उपबंध है ,जो कोई स्वेच्छया उपहति करीत करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवश्य एक वर्ष तक की हो सकरगि , या जुर्माने से जो 1000 रूपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दण्डित किया जायेगा।

उपहति /चोट से आशय ; जो कोई किसी व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा , रोग या अंग -शैथिल्य कारित करता है, वह उपहति करता है। यह कहा जाता है।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022


नोट : दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार : यह जमानतीय और असंज्ञेय अपराध है जमानत कोई जुडिसियल मजिस्ट्रेट दे सकता है।


जलियांवाला बाग हत्याकांड:

आज़ादी के आंदोलन में हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे : 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर बिना बताये ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। इस कांड में मारे गए लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। इस हत्या काण्ड का बदला लेने के लिए वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022

Virendra kuamr Usmani Degree College Lakhimpur Kheri
Virendra Kumar Usmani Degree College

Stikar Samany Gyan 2023
क्या है रॉलेट एक्ट 1919 को जाने :
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
जलियांवाला बाग हत्या काण्ड की पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ। 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया। इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई। घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।इस बड़ी भीड़ को तितर बितर करने के लिए ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा। सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दी दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।Genral Knowledge
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022


महान दार्शनिक रजनीश ओशो

प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो


Dt.7 January 2023। Mukesh Bhartiआधुनिक युग के महान दार्शनिक रजनीश ओशो ने जीवन जीने की नई ऊर्जा दी। संभोग में समाधि नामक अपने दर्शन की किताब में इस नये आयाम दिया मनुष्य अपने जीवन को नर्क बना देता है जीवन भर सेक्स के पीछे भागता रहता है जबकि जीवन का लक्ष्य कुछ और ही है।

“जो उस मूलस्रोत को देख लेता है…”।

यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है : वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है। वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है।
जिसको मैंने, ” संभोग से समाधि की ओर ” कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं | एक तो रति है मनुष्य की — स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है? — या आभास होता है कम से कम। फिर “एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो। “एक तो रति है – दूसरे से मिलने की। और एक रति है – अपने से मिलने की। ” जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है। ” संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है।” ओशो

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
प्रेम क्या है? कामवासना का मूलस्रोत क्या है? यौन-ऊर्जा का रूपांतरण कैसे संभव? क्या संभावनाएं हैं मनुष्य की?
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक अनुक्रम
1: संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा 2: संभोग : अहं-शून्यता की झलक 3: संभोग : समय-शून्यता की झलक 4: समाधि : अहं-शून्यता, समय-शून्यता का अनुभव 5: समाधि : संभोग-ऊर्जा का आध्यात्मिक नियोजन 6: यौन : जीवन का ऊर्जा-आयाम  7: युवक और यौन  8: प्रेम और विवाह 9: जनसंख्या विस्फोट  10: विद्रोह क्या है  11: युवक कौन  12: युवा चित्त का जन्म 13: नारी और क्रांति  14: नारी—एक और आयाम  15: सिद्धांत, शास्त्र और वाद से मुक्ति 16: भीड़ से, समाज से—दूसरों से मुक्ति  17: दमन से मु‍क्ति  18: न भोग, न दमन—वरन जागरण
विवरण: जीवन-ऊर्जा रूपांतरण के विज्ञान पर ओशो द्वारा ‍दिए गए 18 प्रवचनों का संकलन।

उद्धरण : संभोग से समाधि की ओर – पहला प्रवचन – संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा

“जिस आदमी का ‘मैं’ जितना मजबूत है, उतनी ही उस आदमी की सामर्थ्य दूसरे से संयुक्त हो जाने की कम हो जाती है। क्योंकि ‘मैं’ एक दीवाल है, एक घोषणा है कि मैं हूं। मैं की घोषणा कह देती है: तुम ‘तुम’ हो, मैं ‘मैं’ हूं। दोनों के बीच फासला है। फिर मैं कितना ही प्रेम करूं और आपको अपनी छाती से लगा लूं, लेकिन फिर भी हम दो हैं। छातियां कितनी ही निकट आ जाएं, फिर भी बीच में फासला है–मैं ‘मैं’ हूं, तुम ‘तुम’ हो। इसीलिए निकटतम अनुभव भी निकट नहीं ला पाते। शरीर पास बैठ जाते हैं, आदमी दूर-दूर बने रह जाते हैं। जब तक भीतर ‘मैं’ बैठा हुआ है, तब तक दूसरे का भाव नष्ट नहीं होता।

सार्त्र ने कहीं एक अदभुत वचन कहा है। कहा है कि दि अदर इज़ हेल। वह जो दूसरा है, वही नरक है। लेकिन सार्त्र ने यह नहीं कहा कि व्हाय दि अदर इज़ अदर? वह दूसरा ‘दूसरा’ क्यों है? वह दूसरा ‘दूसरा’ इसलिए है कि मैं ‘मैं’ हूं। और जब तक मैं ‘मैं’ हूं, तब तक दुनिया में हर चीज दूसरी है, अन्य है, भिन्न है। और जब तक भिन्नता है, तब तक प्रेम का अनुभव नहीं हो सकता।

प्रेम है एकात्म का अनुभव। प्रेम है इस बात का अनुभव कि गिर गई दीवाल और दो ऊर्जाएं मिल गईं और संयुक्त हो गईं। प्रेम है इस बात का अनुभव कि एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति की सारी दीवालें गिर गईं और प्राण संयुक्त हुए, मिले और एक हो गए। जब यही अनुभव एक व्यक्ति और समस्त के बीच फलित होता है, तो उस अनुभव को मैं कहता हूं–परमात्मा। और जब दो व्यक्तियों के बीच फलित होता है, तो उसे मैं कहता हूं–प्रेम।

अगर मेरे और किसी दूसरे व्यक्ति के बीच यह अनुभव फलित हो जाए कि हमारी दीवालें गिर जाएं, हम किसी भीतर के तल पर एक हो जाएं, एक संगीत, एक धारा, एक प्राण, तो यह अनुभव है प्रेम। और अगर ऐसा ही अनुभव मेरे और समस्त के बीच घटित हो जाए कि मैं विलीन हो जाऊं और सब और मैं एक हो जाऊं, तो यह अनुभव है परमात्मा।


इसलिए मैं कहता हूं: प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो


 

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