महापुरुषों ने बहुजन समाज को शासक बनने के लिए हक़ अधिकार देकर सम्मानित किया – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

महापुरुषों ने बहुजन समाज को शासक बनने के लिए हक़ अधिकार देकर सम्मानित किया

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धर्म ने क्या दिया बहुजनों (OBC SC ST) को और संविधान ने क्या दिया बहुजनों (OBC SC ST) को वर्तमान मे जानना बहुत जरूरी है भविष्य मे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए इसके लिए मूलनिवासी बहुजन महापुरुषो के बताये रास्तो पर चलना होगा ———————————————

✍️ धर्म के नाम पर OBC,SCST महिलाओ को शूद्र,अछूत,असुर,राक्षस,नीच कहकर हजारों साल तक शिक्षा, संपत्ति, इच्छानुसार व्यवसाय, बराबरी, स्वतंत्रता, मूलभूत आवश्यकताओं, शासक बनने के अधिकार से वंचित तथा जातिगत भेदभाव, शोषण-उत्पीड़न करके पशुओं से भी बदतर जीवन जीने के लिए मजबूर किया गया, तब कोई भी देवी -देवता इनके साथ हो रहे अन्याय को बंद कराने के लिए नहीं आया। बहुजन महापुरुष शाहू जी महाराज, महात्मा ज्योतिबा राव फुले, पेरियार ई वी रामास्वामी, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, ललई सिंह यादव, बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा, रामस्वरूप वर्मा, मान्यवर कांशीराम जी समाज को जागरूक करने, शोषण-उत्पीड़न से मुक्त कराने तथा उनके हक-अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करते हुए अपने जीवन को बलिदान करके यथासंभव अधिकार दिलाने का प्रयास किया। धर्म के नाम पर ऊंच-नीच, छुआछूत की भेदभावपूर्ण मनुवादी व्यवस्था से मुक्त कराने हेतु अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में कानून बनाकर प्रयास किया। आजादी के बाद बाबा साहब द्वारा संविधान में सभी देशवासियों के लिए बिना धर्म, जाति, क्षेत्र, लिंग का भेदभाव किए एक समान कानून लागू कराकर शूद्रों के लिए धर्म के नाम पर बंद किए गए शिक्षा, संपत्ति,इच्छानुसार व्यवसाय बराबरी, स्वतंत्रता, शासक बनने का द्वार खोल दिया। भेदभाव पूर्ण प्रथाओं व कुरीतियों पर रोक लगाते हुए सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्रदान करते हुए सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण की व्यवस्था, जमीदारी उन्मूलन एक्ट लागू होने के कारण शोषित वंचित बहुजन समाज के लोगों की दशा व दिशा में सुधार हुआ, लेकिन संविधान लागू होने से अपने को ब्रह्मा के मुंह से पैदा होना बताने मनुवादियों के पेट में दर्द होने लगा और शोषित-वंचित समाज को संविधान द्वारा मिले अधिकारों को छीनने के लिए तरह-तरह से षड्यंत्र करने लगे। RSS प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि हिंदुओं एक हो जाओ नहीं तो मुसलमान कब्जा कर लेंगे, लेकिन यही शूद्र हिंदुओं (OBC, SCST) के आरक्षण भागीदारी जातिवार जनगणना हक अधिकारों का विरोध करने के साथ ही खुलेआम संविधान बदलने की बात कर रहे हैं? हिंदूराष्ट्र के नाम पर संविधान बदलकर मनुस्मृति लागू करके ब्राह्मण राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र कर हैं। यानी ब्राह्मण (हिन्दू) धर्म में शुद्र अछूत बनकर रहो। अपनी शिक्षा, आरक्षण, भागीदारी, जातिवार जनगणना हक-अधिकार की बात मत करो ? आरएसएस की नीतियों पर चलने वाले मनुवादी सरकार शिक्षा, चिकित्सा व मूलभूत सार्वजनिक सुविधाओं के बजट में कटौती करके हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद के नाम पर नफरत फैलाकर सत्ता पर कब्जा करने व मनुवाद को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक स्थलों के विकास, धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन में गौरक्षा, मंदिर पुजारियों को वेतन, सरकारी संस्थानों संपत्तियों को खरीदने वाले मित्र उद्योगपतियों का कर्ज, टैक्स माफ करने, तथा अनुपयोगी योजनाओं पर जनता के टैक्स के पैसे अंधाधुंध खर्च कर रही है। ऐसी नीतियां लागू कर रही है, जिससे जाति विशेष को फायदा हो और बहुजन समाज की नौकरी रोजगार व आर्थिक साधन खत्म हो जाए और वह गुलामी लाचारी का जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाए। लगातार संविधान में संशोधन करके संविधान को कमजोर किया जा रहा है। नई कृषि नीति लागू करके किसानों को घाटे की खेती करने पर मजबूर करके उनकी खेती छीनकर भूमिहीन बनाने, नई शिक्षा नीति के द्वारा शिक्षा का भगवाकरण करने के साथ ही शिक्षा को मंहगा करके शिक्षा से वंचित करने तथा नए श्रम कानून लागू करके बंधुआ मजदूर बनाने का षड्यंत्र कर रही है। निजीकरण के नाम पर देश के सरकारी संस्थानों को सरकारी बैंकों से ही खरीदने के लिए कर्ज देकर, पट्टे पर जमीने देकर, टैक्स माफ करके,सरकारी पैसे से ही सरकारी को निजी करके उसमें ओबीसी, एससी एसटी को आरक्षण के कारण मिलने वाली नौकरियों से वंचित करके जाति विशेष की नियुक्तियों का रास्ता साफ कर दिया गया। निजीकरण, लेटरलएंट्री, कोलोजियम, संविदा, आउटसोर्सिंग, ईडब्ल्यूएस आरक्षण, क्रीमीलेयर, इंटरव्यू- नियुक्तियों में पक्षपात, अनारक्षित श्रेणी को सवर्ण श्रेणी बनाकर तथा नॉट फाउंड सूटेबल कहकर बहुजनों को नियुक्तियों से वंचित करके जाति विशेष की नियुक्तियां की जा रही है। OBC,SCST को बताया जाता है कि हिंदुओं एक हो जाओ नहीं हिंदू मुसलमान कब्जा कर लेंगे और इनको मुसलमानों से लड़ने में लगाकर स्वयं सब पर कब्जा करते जा रहे हैं। मुसलमान तो स्वयं शोषित पीड़ित हैं उनकी नौकरियों में भागीदारी मुश्किल से 2% है। जो स्वयं गरीब, हक-अधिकार वंचित है, उससे लड़ने से क्या मिलेगा? लड़ना है तो उससे लड़ो, जो आपके हिस्से पर कब्जा किए हैं? एक तरफ बिना किसी आबादी व आर्थिक आंकड़े के 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू कर दिया गया दूसरी ओर ओबीसी की आबादी के आंकड़े उपलब्ध न होने का बहाना बनाकर आरक्षण पर रोक लगाई जा रही है। उनकी जातिवार जनगणना का भी मनुवादी संगठन व पार्टियां विरोध कर रही है क्योंकि जातिवार जनगणना से पता चल जाएगा कि ओबीसी एससी एसटी के हिस्से पर कब्जा मुसलमानों ने नहीं इन्हीं मनुवादियों ने कर रखा है, जो ओबीसी एससी एसटी को हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद के नाम पर मुसलमानों के खिलाफ लड़ाने में लगाकर दूसरी ओर आपके हक अधिकारों पर कब्जा करते जा रहे हैं। जिसे आप धर्म समझ रहे हो वह धर्म नहीं बल्कि विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा मूल निवासियों को शिक्षा, संपत्ति, रोजगार, बराबरी, स्वतंत्रता, शासक बनने के अधिकार से वंचित करके हमेशा के लिए गुलाम-लाचार बनाए रखने की व्यवस्था है। बहुजन समाज को किसी देवी-देवता, धर्म से आज तक न तो कुछ मिला है और न ही कुछ मिलने वाला नहीं है, बल्कि जब तक आप धर्म को मानोगे शूद्र, अछूत नींच कहलाओगे और शूद्र, अछूत, नींच होने का एहसास करते रहोगे? इसलिए धर्म नहीं शिक्षा, सम्पत्ति, रोजगार,आरक्षण, भागीदारी, जातिवार जनगणना, मताधिकार, संविधान बचाने, ईवीएम हटाने की लड़ाई लड़ने तथा अपने हक-अधिकार छीनने वाले मनुवादी संगठनों व राजनीतिक दलों का बहिष्कार करके सत्ता से हटाने की जरूरत है। इन मनुवादियों के हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद, रामराज हिंदूराष्ट्र गौरक्षा के बहकावे में आने की बजाय अपनी रोजी-रोटी, बच्चों का भविष्य, संवैधानिक अधिकार बचाने की जरूरत है।

संविधान जब तक है तभी तक बहजनों का मानव रूपी अस्तित्व है बाद समाप्त संविधान फिर अछूत, शुद्र, दासी आदि

संविधान बचाओ बहुजन बचाओ
संविधान बचाओ बहुजन बचाओ

VIJAY PRATAP
BAMCEF

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