Lakhimpur Kheri News: पसगवां व कुम्भी (गोला) में भी विवादों में रहकर सरकार की किरकिरी करा चुके हैं बीडीओ प्रदीप चौधरी
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पसगवां व कुम्भी (गोला) में भी विवादों में रहकर सरकार की किरकिरी करा चुके हैं बीडीओ प्रदीप चौधरी
गौरतलब हो कि वर्तमान समय में बीडीओ नकहा कई वर्ष पूर्व जब जनपद के विकासखंड पसगवां में बतौर बीडीओ तैनात थे तब भी उन पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगते रहे थे। तब भी पत्रकारों द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों व चैनलों में समाचार प्रकाशित करने से क्षुब्ध बीडीओ प्रदीप चौधरी पत्रकारों को अपमानित करने को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। पसगवां में तैनाती के दौरान पत्रकारों को अपशब्द कहते हुए उनकी कई आडियो भी वायरल हुईं थीं।
तब पत्रकारों के अपमान से नाराज खीरी सहित आस-पास जनपद के सैकड़ों पत्रकारों व पसगवां ब्लॉक में उक्त बीडीओ की कार्यशैली से त्रस्त जनमानस ने भी ऐप्जा (आल इंडियन प्रेस जर्नलिस्ट एसोसिएशन) के चीफ कोआर्डिनेटर अनुराग एम. सारथी के नेतृत्व में भारी संख्या में एकत्र होकर मोहम्मदी में चले पत्रकारों के आंदोलन को अपना समर्थन देकर सहभागिता की थी।
बीडीओ प्रदीप चौधरी का विवादों से गहरा नाता रहा है। जिले की ज्यादातर ब्लॉकों में तैनाती के दौरान वह विवादों से दूर नही रह पाए, यह कहना कतई गलत नही होगा। क्योंकि कुम्भी (गोला) में तैनाती के दौरान भी वह सत्तापक्ष के ब्लॉक प्रमुख से विवाद मोल ले चुके हैं। तब ब्लाक प्रमुख व उनके समर्थक प्रधानों ने बीडीओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जिसके बाद गोला विधायक अमन गिरि ने ब्लॉक पहुंचकर बीडीओ की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की थी, तब जिले के तत्कालीन सीडीओ को भी ब्लॉक आकर विवाद समाप्त करने को लेकर मध्यस्थता करनी पड़ी थी। इस विवाद के कारण ही उक्त बीडीओ का कुम्भी (गोला) से स्थानांतरण हुआ था। कहना यही होगा कि बीडीओ प्रदीप चौधरी लगभग जहां भी तैनात रहे हैं वहां उनका विवादों से गहरा नाता रहा है।
फिलहाल खबर से खुन्नस खाए बीडीओ द्वारा पत्रकार को नोटिस दिए जाने से जनपद के पत्रकारों में एक बार फिर बीडीओ प्रदीप चौधरी को लेकर आक्रोश व्याप्त हो गया है। आने वाले दिनों में उक्त बीडीओ के खिलाफ जिले में संचालित विभिन्न पत्रकार संगठन आंदोलन करने को बाध्य हो सकते हैं, इस बात में कोई अतिश्योक्ति नही है।
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