कुशीनगर :: : तुलना में नई प्रजाति के गन्ने में चीनी का परता 14 फीसद अधिक पड़ता हैं
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज व बहुजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983
कुशीनगर : * (लालजी कनौजिया – ब्यूरो रिपोर्ट)
कुशीनगर :: : तुलना में नई प्रजाति के गन्ने में चीनी का परता 14 फीसद अधिक पड़ता हैं
किसानों की आय में मिठास घोलेगी गन्ने की यह नई प्रजाति गन्ने की नई प्रजाति शीघ्र बाजार में आने वाली है। गन्ना शोध संस्थान की क्षेत्रीय केंद्र ने गन्ने की नई प्रजाति विकसित की है। शोध में पाया गया है कि पूर्वांचल में बोई जाने वाली गन्ने की दूसरी प्रजातियों की तुलना में नई प्रजाति के गन्ने में चीनी का परता 14 फीसद अधिक पड़ता हैं गोरखपुर, जागरण संवाददाता। हरियाणा के करनाल में स्थित गन्ना शोध संस्थान की क्षेत्रीय केंद्र ने गन्ने की नई प्रजाति विकसित की है। यह प्रजाति पूर्वांचल की मिट्टी में भी बोने के लिए उपयुक्त पाई गई है। शोध में पाया गया है कि पूर्वांचल में बोई जाने वाली गन्ने की दूसरी प्रजातियों की तुलना में नई प्रजाति के गन्ने में चीनी का परता 14 फीसद अधिक पड़ता है। किसानों की आय बढ़ाने वाली इस प्रजाति को गन्ना विभाग बुवाई के अगले सीजन में गोरखपुर मंडल के गन्ना किसानों को उपलब्ध कराने की अभी से तैयारी कर रहा है।अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक मिलता है चीनी का परतागोरखपुर मंडल के किसान आमतौर से को. 0238 प्रजाति के गन्ने की बुवाई करते हैं, लेकिन गन्ने का कैंसर कहा जाने वाला रेड राट रोग से ग्रसित हो गई है। इस रोग की चपेट में आने के बाद खेत में खड़ी पूरी की पूरी फसल सूख जाती है। जिसकी वजह से किसान की लागत भी नहीं निकल पाती। इसको देखते हुए गन्ना विभाग पूर्वी उत्तर प्रदेश में अ’छी पैदावार देने वाले गन्ने की दूसरी प्रजाति को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रहा था। इसी बीच करनाल, हरियाणा के गन्ना शोध संस्थान में तैयार की गई गन्ने की नई प्रजाति को. 015023 आ गई। उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान एवं प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच के उप निदेशक ओम प्रकाश गुप्त ने बताया कि को. 015023 प्रजाति को गन्ने की दो प्रजातियों को 0241 और को 8343 को क्रास कराकर विकसित किया गया है। शोध में नई प्रजाति की पेड़ी फसल की पैदावार भी अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक पाई गई है। पेड़ी फसल में कल्ले अधिक निकलने से इस प्रजाति की पैदावार अ’छी होती है। उप निदेशक ने बताया कि इस प्रजाति की बुवाई करते समय इस बात का खास ध्यान देना होगा कि जिस खेत में इसकी बुवाई की जाय उसमें जलभराव न होता है। चीनी की अधिक परता वाली प्रजाति होने की वजह से जलभराव होने पर फसल रोगग्रस्त हो सकती है।
कुशीनगर : * (लालजी कनौजिया – ब्यूरो रिपोर्ट)
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