जनरल डायर क़ो मौत के घाट उतरने वाले अमर शहीद उधम सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

जनरल डायर क़ो मौत के घाट उतरने वाले अमर शहीद उधम सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा( दैनिक हिंदी समाचार पत्र) ( सम्पादक मुकेश भारती – संपर्क सूत्र : 9161507983)
: ( अरविंद गौतम – ब्यूरो रिपोर्ट)


        जनरल डायर क़ो मौत के घाट उतरने वाले अमर शहीद उधम सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि
जनरल डायर क़ो मौत के घाट उतरने वाले अमर शहीद उधम सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि जलियांवाला बाग नरसंहार के दोषी जनरल माइकल ओ डायर को मौत के घाट उतारकर भारतीयों का बदला लेने वाले अमर शहीद उधम सिंह जी की पुण्‍यतिथि पर उन्‍हें विनम्र श्रद्धांजलि। 13 अप्रैल 1919 क़ो पंजाब मे स्थित जालियावाला बाग मे रोलेट एक्ट के विरोध मे सभा लगी हुई थी रोलेट एक्ट एक ऐसा एक्ट था जिसके चलते अंग्रेज भारतीय क्रन्तिकारियों के आंदोलन पर रोक लगा सकती थीजालियावाला बाग सभा मे लगभग 5000 लोग इकठ्ठा थे जिसकी सुचना पाकर जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे और 2000 से अधिक घायल हुए।अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।जिसके अत्याचार और अपराध का बदला उधम सिंह ने जनरल डायर क़ो गोली मर कर पूरा कियाउधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में हुआ था। सन 1901 में उधमसिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। वे अपने बड़े भाई मुक्तिसिंह के साथ एक अनाथालय मे रहते थे उधम सिंह के पचपन का नाम शेरसिंह था वे सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे और इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था जो भारत के तीन प्रमुख धर्मों का प्रतीक है।1917 में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया। वह पूरी तरह अनाथ हो गए। 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शमिल हो गए। जलियाँवाला बाग में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई। इस घटना से वीर उधमसिंह पर गहरा प्रभाव पड़ा उन्होंने जलियाँवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली। अपनी प्रतिज्ञा पूरी करना के लिए उधम सिंह अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की। सन् 1934 में उधम सिंह लंदन पहुँचे और वहां 9, एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे। वहां उन्होंने एक रिवाल्वर भी खरीद ली। भारत का यह वीर क्रांतिकारी माइकल ओ डायर को ठिकाने लगाने के लिए उचित वक्त का इंतजार करने लगा।उधम सिंह को अपने सैकड़ों भाई-बहनों की मौत का बदला लेने का मौका 1940 में मिला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी जहां माइकल ओ डायर भी वक्ताओं में से एक था। उधम सिंह उस दिन समय से ही बैठक स्थल पर पहुँच गए। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली। जिससे डायर की जान लेने वाला हथियार आसानी से छिपाया जा सके।बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर गोलियां चला दी lदो गोलियां माइकल ओ डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। उधम सिंह ने वहाँ अपनी वीरता का परिचय दिया और भागने की कोशिश नहीं की उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई अपने सैकड़ो भाइयों – बहनो की मौत का बदला लेने वाले वीर पुरुष क़ो भारत देश सदियों याद करता रहेगा।

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