मथुरा भेलपूरी विक्रेता 6 करोड़ की ठगी कर हुआ फरार
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती- सम्पर्क सूत्र 9336114041 )
मथुरा : (चंदू मौर्य – ब्यूरो रिपोर्ट ) दिनांक– 27 नवंबर – 2021 -शनिवार ।
मथुरा भेलपूरी विक्रेता 6 करोड़ की ठगी कर हुआ फरार
मथुरा। अभी तक आपने मिस्टर नटवरलाल की ठगी के कारनामे बहुत सुने होंगे लेकिन कस्बा नौहझील में एक भेलपूरी बेचने वाला मामूली सा दुकानदार 100 से अधिक व्यापारियों, पत्रकार, अधिवक्ताओं के परिवारों को 6 करोड़ से अधिक का चूना लगाकर रातों रात फरार हो गया। पीड़ित जहां ठग की तलाश में जुटे हैं। वहीं पुलिस प्रशासन के भी चक्कर काट रहे हैं। अभी तक बड़ी-बड़ी चिट फंड कंपनियों एवं ग्रुपों द्वारा अरबों-खरबों की ठगी की घटनाओं को अभी जनता भुला भी नहीं पाई थी कि एक और ताजा मामला कस्बा नौहझील में सामने आया है। जहां मोटी ब्याज के लालच में सौ से अधिक व्यापारी, पत्रकार एवं अधिवक्ताओं के परिवार एवं आम जनता ठगी का शिकार हो गए। बताया जाता है कि कस्बा नौहझील के हनुमान नगर निवासी नरेंद्र कुमार पुत्र देवीराम पुजारी बाजार में भेलपूरी की ढकेल लगाता था। भेलपूरी खिलाने के बहाने बाजार में व्यापारियों से अच्छे एवं नजदीक संबंध बना लिए। पहले तो उसने व्यापारियों से छोटा लेनदेन शुरू किया। फिर मोटी ब्याज पर अधिक धनराशि लेने लगा और समय पर ब्याज सहित धनराशि लौटाकर व्यापारियों पर विश्वास जमाता रहा। इसी बीच उसने मासिक कमेटियों का संचालन शुरू कर दिया और मोटी ब्याज का लालच देकर अपने साथ लोगों को जोड़ता रहा। दर्जनों कमेटियों के नाम पर सैकड़ों लोग का कारवां जुड़ता चला गया। मात्र कक्षा छह तक की शिक्षा पाने वाले ठग नरेंद्र कुमार अच्छे-अच्छे पढ़े लिखों को चूना लगाकर चला गया।करीब 9 लाख रूपए की ठगी का शिकार हुए महेंद्र कुमार वार्ष्णेय ने विषबाण मीडिया से बातचीत में कहा कि उसने अपनी लड़की की शादी के लिए 8 लाख 81 हजार रूपए जमा कराए थे। जिसमें 1 लाख 31 हजार उनके पुत्र बंटी गुप्ता के हैं। जिन्हें वापस करने के लिए नरेंद्र कुमार लगातार तारीख पर तारीख देता रहा। फिर 20 नवंबर की सुबह उसने बाजार से वसूली करके पैसे लौटाने का वायदा किया था लेकिन जब पेमेंट नहीं आया तो वह उसके घर पहुंचे। तो वहां अन्य तगादे वाले भी नरेंद्र के घर पर मौजूद थे। परिजनों ने बताया कि नरेंद्र अभी बाजार में है लेकिन देर सायं तक वह घर नहीं लौटा। मोबाईल पर भी कोई संपर्क नहीं हो सका। उसका फोन स्विच्ड ऑफ बताता रहा। तो उसके फरार होने की जानकारी मिली। श्री वार्ष्णेय बताते हैं कि नरेंद्र ने व्यापारियों पर इतना विश्वास जमा लिया था कि वह जो समय देता था, उसी तय समय पर घर जाकर ब्याज सहित धनराशि का अथवा कमेटी का भुगतान कर देता था। जिससे व्यापारियों का उसके प्रति विश्वास बढ़ता गया और व्यापारी सहित अन्य लोग कमेटी एवं अधिक ब्याज के लालच में मोटी धनराशि फंसाते चले गए।इसी तरह एक अन्य कपड़ा विक्रेता के स्वयं के 17 लाख एवं अपनी नजदीकी महिला रिश्तेदार से लेकर 30 लाख रूपए भी नरेंद्र को दे दिए थे। एक सब्जी विक्रेता भी महंगी ब्याज के लालच में अपनी कुल जमा पूंजी 15 लाख रूपए से अधिक की राशि उसके पास जमा कर चुके थे। बताया जाता है कि भागने से कुछ दिन पूर्व ही नरेंद्र द्वारा कई व्यापारियों से भी मोटी ब्याज देने के नाम पर 1 करोड़ से अधिक एकत्रित की गई थी। इसी तरह किसी से 22 लाख, किसी से 10 लाख, किसी से 8 लाख तो किसी से 16 लाख की नगद एवं कमेटी की धनराशि नरेंद्र ने ले ली थी। जो कि करीब 6 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। ठगी का शिकार हुए लोगों में पत्रकार, अधिवक्ता, समाजसेवी, शिक्षकों के साथ-साथ उनके परिजन एवं नजदीकी रिश्तेदार भी शामिल हैं।
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