भीमा -कोरेगांव की शौर्यगाथा-एक चोट लोहार की-लेखक सज्जन क्रांति
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युवा एवं विद्वान लेखक सज्जन क्रांति ने प्रस्तुत पुस्तक “ एक चोट लोहार की ” में भीमा -कोरेगांव की शौर्यगाथा को नाट्य शैली में लिखा है,पुस्तक में करीब 200 वर्ष पूर्व पूना शहर से 16 मील दूरी पर स्थित भीमा नदी किनारे हुए युद्ध का वर्णन है,उपरोक्त युद्ध में दलितों के शौर्य का बोध लेखक द्वारा इस पुस्तक के माध्यम से बहुत ही सहजतापूर्वक कराया गया है,यह युद्ध सन 1857 ई .से करीब 39 वर्ष पहले अर्थात 1 जनवरी 1818 ई .को लड़ा गया, इसमें केवल 500 महार योद्धाओं ने लगभग 28 हजार सैनिकों की भारी -भरकम पेशवाई फौज को
हराया था,प्रस्तुत पुस्तक के नाट्यशैली में होने के कारण पाठक सरल एवं सुगमता से इस गौरवशाली घटना की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं,उपरोक्त गौरवशाली दलित शौर्य की घटना के साथ ही हमारे अनेक दलित योद्धाओं ने इस देश की आजादी के लिए बड़ी -बड़ी लड़ाइयों में भाग लिया तथा अपने प्राण न्यौछावर किए,किंतु इन दलित शहीदों के नामों का उल्लेख इतिहास में नहीं मिलता,लेखक ने बहुत शोध करके इस पुस्तक के माध्यम से वास्तविक दलित इतिहास की जानकारी दी है।
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