Ayodhya News :: अयोध्या में स्थापना दिवस की तैयारी बैठक सम्पन्न हुई

Ayodhya News :: अयोध्या में स्थापना दिवस की तैयारी बैठक सम्पन्न हुई
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संवाददाता : अयोध्या : फूलचन्द्र {CO1} : Date . 26 . 12 . 2022
स्थापना दिवस की तैयारी बैठक सम्पन्न अयोध्या जिले में अखिल भारतीय चाणक्य परिषद द्वारा दिनां१४ जनवरी 2023 को स्थापना दिवस के अवसर पर सूर्यकुण्ड दर्शन नगर अयोध्या धाम में आयोजित होने वाले विशाल ब्राह्मण सम्मेलन व खिचड़ी सहभोज कार्यक्रम की तैयारी हेतु बीकापुर ब्लाक के पुंहपी गांव में विप्र समाज की एक बैठक का आयोजन किया गया । बैठक

की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी पंडित रामलखन पांडेय द्वारा की गई । बैठक प्रारम्भ करने से पूर्व भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।ब्लाक अध्यक्ष बीकापुर ने बैठक के एजेंडे पर प्रकाश डाला तथा परिषद की गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि आज हमारे समाज की जो विसंगतियां हैं इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं आज की हमारे समाज की कमियों का,दुष्परिणाम आगे आने वाली पीढ़ी को झेलना पड़ेगा ।
हम अपने संस्कार, आहार के प्रति उदासीन हो गये हैं । शिखा, सूत्र और चंदन धारण करने से हमारी अलग पहचान होती थी ।समय पर यज्ञोपवीत का समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है । परिषद बर्ष भर अनेक सामाजिक कार्य करता है जैसे सामूहिक,
यज्ञोपवीत, श्रावणी उपाकर्म, अयोध्या परिक्रमा मेले में श्रद्धालुओं की नि:शुल्क सेवा, इलाज, स्थापना दिवस पर विशाल ब्राह्मण सम्मेलन व खिचड़ी सहभोज कार्यक्रम, समाज के मेधावी गरीब विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता, असहाय गरीबों को चिकित्सकीय मदद, गरीब परिवार की कन्याओं की शादी में आर्थिक मदद, दुर्घटना ग्रस्त गरीबों की मदद , उत्पीड़नग्रस्त परिवारों की मदद जैसे अनेकों कार्य किये जाते हैं । परन्तु हम जब तक समाज के प्रत्येक परिवार को जोड़ नहीं पायेंगे तब तक हम न तो अपनी पहचान बनाने में सफल हो पायेंगे और न ही अपनी गतिविधियों को समाज को बता पायेंगे । इसलिए प्रमुख एजेंडा यही है कि पहले समाज के हर एक व्यक्ति को जोड़ने का कार्य करें सदस्यता अभियान के द्वारा इसे पूरा करना होगा ।जिन गांवों तक अभी हम नहीं पहुंच पायें है वहां हमें पहुंचना होगा । बीकापुर विकास खंड में इस अभियान की अच्छी शुरुआत हुई थी परन्तु कुछ कारणों से शिथिलता आ गई है जिसे पुनः गति प्रदान करने की आवश्यकता है ।
। बैठक के एजेंडे के दूसरे विंदु स्थापना दिवस पर व्यापक चर्चा की गई । ब्लाक अध्यक्ष ने कहा कि स्थापना दिवस में पिछले कुछ वर्षों से बीकापुर का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है इस बार भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए हमें लोगों के बीच में जाकर निमंत्रण पत्रों के साथ प्रत्येक परिवार को आमंत्रित कर उनके आवागमन की व्यवस्था की पुष्टि करनी चाहिए ।ब्लाक अध्यक्ष ने बताया कि बीकापुर से सभी विप्र महानुभाव दिनांक 14 जनवरी 2023 को राजमाधव विद्यालय जलालपुर बीकापुर में प्रात: 9.00 बजे तक अपने साधन से पहुंच कर सामूहिक रूप में एक साथ सूर्य कुंड के लिए प्रस्थान करेंगे । विभिन्न स्थानों से बसों की भी व्यवस्था की जा रही है । जिनके पास साधन नहीं होगा उन्हें साधन मुहैया कराया जाएगा ।राजमाधव विद्यालय पहुंचकर साधन प्राप्त कर सकते हैं । यदि समूह में ज्यादा हैं तो वहां जानकारी पहले से होने पर साधन उपलब्ध कराया जाएगा । बैठक में उपस्थित सभी महानुभावों को निमंत्रणपत्र देते हुए अपेक्षा की गई की अपने साथ कम से कम 5 लोगों को लेकर चलने का निश्चय करें । राष्ट्रीय संगठन मंत्री पंडित विनय पांडेय ने सभी से अपील की कि जिनके पास निजी वाहन है वे सभी लोग अपना वाहन लेकर चलें । इसके लिए क्षेत्र के प्र त्येक वाहन स्वामी से मिलकर बात की जायगी ।श्री पांडेय ने परिषद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिषद समाज की बहुत बड़ी ताकत है ।कहा कुछ लोग समाज को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं और नकली संगठन बनाकर समाज को कमजोर करना चाहते हैं उनसे सतर्क रहने की आवश्यकता है ।
इस अवसर पर ब्लाक के उपाध्यक्ष पंडित अनिल उपाध्याय, संगठन मंत्री पंडित गोमती तिवारी, महामंत्री पंडित संजय पांडेय, सम्परीक्षक पंडित शिवमंगल तिवारी, समाज सेवी पंडित शैलेन्द्र पांडेय मोनू ने भी अपने विचार रखते हुए सुझाव प्रस्तुत किए । अध्यक्षीय संबोधन में पंडित राम लखन पांडेय ने संगठन की मजबूती के लिए समाजिक एकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला । अंत में धन्यवाद ज्ञापन तथा भगवान परशुराम तथा आचार्य चाणक्य के जयकारे के साथ बैठक सम्पन्न हुई । बैठक में ब्लाक कार्यकारिणी के सक्रिय सदस्य पंडित अरस दुबे, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रभारी पंडित संतोष पाण्डेय, पंडित राकेश कुमार पांडेय, पंडित राज पांडेय, पंडित प्रियांसू तिवारी, पंडित रमापति तिवारी, पंडित मनोज कुमार तिवारी, पंडित राधेश्याम तिवारी, पंडित राजामोहन तिवारी, पंडित सुदामा प्रसाद तिवारी, पंडित रवीन्द्र कुमार दूबे, पंडित राम जी पांडेय, पंडित राम प्रताप, पंडित सुकदेव तिवारी, पंडित विकास मिश्रा, पंडित राघवराम पांडेय आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।
पासी जाति का गौरवशाली इतिहास:
पासी उत्तर भारत में निवास करने वाली हिन्दू धर्म के अनुसूचित जाति में सम्मलित है। पासी जाति को पूर्वी उत्तर प्रदेश में पासी और राजवंशी और भार्गव आदि नाम से भी जाना जाता है और यूपी के कुछ भाग में चौकीदार भी कहते है। आजादी के पहले और बाद में भी थाने और पुलिस चौकी में चौकीदारी का काम करते थे। आजादी की लड़ाई में पासी समुदाय का अतुलनीय योगदान है ।आजादी की लड़ाई में पासी समुदाय का अतुलनीय योगदान है पासी जाति के लोग कद काठी से बलवान और निडर होना इनका स्वभाव है। शारीरिक रूप से बलिष्ट और मूछ रखने के बहुत ही शौक़ीन होते है। पासी जाति के लोग शाकाहारी और मांशाहारी दोनों होते है।
मुख्यरूप से किसानी का काम करते है उत्तर प्रदेश में पासी अनुसूचित जाति के अंतर्गत आते हैं इन्हें कुछ जगह इन्हें रावत कहते है इनको निम्न श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है कुछ राज्यों में इन्हे एससी श्रेणी में रखा गया है। भरपासी ,कैथवास पासी, रावतपासी, गूजरपासी इनकी मुख्य उपजाती है। पासी का काम श्रम करना है ,इन्हें भर भी कहते हैं ।पासी लोग उत्तर भारतीय राज्यों पंजाब बिहार और उत्तर प्रदेश अरूणाचल प्रदेश में निवास करते हैं। अंग्रेजो ने पासी राजवंश के वंशजो को दबाने के लिए एक्ट ले कर आये और जबरन जेल में बंद कर दिया गया और इतिहास के लेखकों ने इतिहास के पन्ने से पासी लोगो का इतिहास मिटा दिया। पासी समुदाय उत्तर भारत के तराई क्षेत्र में कई सौ साल पहले राजवंश की स्थापना की थी और लगभग 3 सौ साल तक राज्य किया था लखनऊ में पासी राजाओं के कई किले आज भी खँडहर के रूप में है लखनऊ को बसाने का श्रेय भी पासी राजाओं का है। वर्तमान का सीतापुर जिला छीता पासी की विरासत है।
यूपी सरकार 2022 में पासी समाज के चुने हुये विधायक : पासी जाति से विधायक चुनकर पहुंचे सदन 27
1-MLA : Hon’ble Smt. Manju Tyagi Shri Nagar Distt. Lakhimpur Kheri UP
2- MLA : Hon’ble Shri.BabuRam Paswan Puranpur Distt. Pilibhit UP
3- MLA : Hon’ble Shri. Ram Krishan Bhargav Mishrikh Distt. Sitapur UP
4- MLA : Hon’ble Shri. Dr Vimlesh Paswan Bas Gaon Distt. Gorakhpur UP
5- MLA : Hon’ble Shri. Shyam Dhani Rahi Kapil vastu Distt. Sidharth Nagar UP
6- MLA : Hon’ble Shri. Suresh Rahi Hargaon Distt. Sitapur UP
7-MLA : Hon’ble Shri. Vinod saroj Babaganj Distt. Pratapgarh U
महाराजा बिजली पासी: Maharaja Bijli Pasi:

महाराजा बिजली पासी, पासी समुदाय के एक महान भारतीय राजा थे, वे उत्तरी भारत में एक राजा के रूप में लोकप्रिय थे।
बिजली पासी के अस्तित्व या जीवन के संबंध में ऐतिहासिक साक्ष्य स्पष्ट हैं। 2000 में, डाक विभाग,

महाराजा बिजली पासी एक प्रबुद्ध शासक थे जिन्होंने अपनी स्थिति को मजबूत किया और बिजनौर के क्षेत्र में भूमि के एक बड़े पथ पर अपना शासन स्थापित किया। जैसा कि अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के ब्रिटिश गजेटियर में दर्ज किया गया था, वह पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे। वह “पासिस” का एक सक्षम नेता था, जो इलाके के स्वदेशी लोगों की एक भयंकर स्वतंत्रता थी।

महाराजा बिजली पासी किला
महाराजा बिजली पासी किला लखनऊ का एक और ऐतिहासिक स्थल है जो देखने लायक है।हर वर्ष महाराजा बिजली पासी के जन्मदिन पर लाखों पासी लखनऊ के अन्य ऐतिहासिक आकर्षणों की तुलना में, महाराज बीजली पासी किला कम प्रसिद्ध है। आशियाना के आवासीय क्षेत्र में स्थित, लखनऊ का यह पर्यटन स्थल है।
पासी जाति की उपजातियां:
01-कैथवास: काशी प्रांत में रहने वाले पासियों को कैथवास कहा गया है।
02-गूजर:
03-कमानिया:
04-त्रिशूलिया:
05-तरमाली:
06-राजपासी या राजवंशी:
10-भर पासी:
11-अहेरिया:
बौरिया रायबरेली एवं उन्नाव जिले में अधिक हैं नेपाल, असम,बंगाल तथा बिहार में भी करोड़ों की संख्या में पासी हैं असम का पासी घाट बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। अरूणाचल में पासी धनाढ्य है। आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक के पासी अपने को किंग पासी कहते हैं। 800 वर्ष पहले भारतवर्ष में कई प्रदेशों में पासी राजाओं का शासन था। उत्तर प्रदेश में तो सैकड़ों छोटे बड़े राजा महाराजा 12वीं शताब्दी तक थे।
उत्तर प्रदेश में पासी जाति के नाम पर राजनीति में लगी है होड़। सभी राजनितिक दल अपने अपने तरीके से इस बड़े वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की करते है कोशिश। 3 December 2021 को पड़ोसी जनपद कौशांबी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को सिराथू तहसील में संयारा रेलवे ओवरब्रिज का नामकरण महाराजा बिजली पासी पर कर पासवान समाज को साधने का प्रयास किया है।
ललई सिंह यादव का जन्म 01 सितम्बर 1921 को और मृत्यु 07 फरवरी 1993 को हुई वे एक सामाजिक कार्यकर्ता (ऐक्टिविस्ट) थे जिन्होने सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया और सामाजिक न्याय के अपने लक्ष्य के लिए अनेक पुस्तकों की रचना सच्ची रामायण का अनुवाद हिंदी में किया जो अत्यन्त विवादित रहीं। अपनी इस पुस्तक के लिए सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई लड़ी अंत में जीत ललई सिंह यादव को मिली इस लिए उन्हें उत्तर भारत का “पेरियार” कहा जाता है।
सामाजिक कुरूतियों को जड़ से उखाड़ फेकने वाले नायक , दक्षिण भारत के समाज सुधार आन्दोलन के पिता, अज्ञानता के नाशक , अंधविश्वास का चुरा बनाने वाले महानायक और हिन्दू समाज में फैली रीति-रिवाज़ के नाम पर सामाजिक बुराइयों का दमन करने वाले ई वी पेरियार रामास्वामी नायकर को सत सत नमन और विनम्र भावपूर्ण श्रद्धांजलि। 24 दिसंबर 1973को 93 वर्ष की आयु में उनको महा परिनिर्वाण प्राप्त हुआ। उनके महान कार्यों को नमन ऐसे पराक्रमी,कर्मयोगी ,महा पुरुष का जन्म युगो युगो बाद होता है। एडवोकेट मुकेश भारती सिविल कोर्ट लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश।
पेरियार कौन थे ? who was periar ?
Answar:
काशी विश्वनाथ की यात्रा और और ज्ञान की प्राप्ति व परिणाम

सन 1904 में पेरियार कुछ दिनों के लिए घर छोड़ कर काशी घूमने गए। बड़ी कठिनाइयों के साथ भारत यात्रा करते हुए काशी पहुंचे थे। महीनो का समय लगा था काशी विश्वनाथ की यात्रा में। ब्राह्मणों ने उनका घोर अपमान किया उन्हे इस बात का बहुत दुःख हुआ और उन्होने हिन्दुत्व के विरोध की ठान ली। इसके लिए उन्होने किसी और धर्म को नहीं स्वीकारा और वे हमेशा नास्तिक रहे। इसके बाद उन्होने एक मन्दिर के न्यासी का पदभार संभाला तथा जल्द ही वे अपने शहर के नगरपालिका के प्रमुख बन गए। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के अनुरोध पर 1919 में उन्होने कांग्रेस की सदस्यता ली। इसके कुछ दिनों के भीतर ही वे तमिलनाडु इकाई के प्रमुख भी बन गए। केरल के कांग्रेस नेताओं के निवेदन पर उन्होने वाईकॉम आन्दोलन का नेतृत्व भी स्वीकार किया जो मन्दिरों कि ओर जाने वाली सड़कों पर दलितों के चलने की मनाही को हटाने के लिए संघर्षरत था। उनकी पत्नी तथा दोस्तों ने भी इस आंदोलन में उनका साथ दिया। एडवोकेट मुकेश भारती सिविल कोर्ट लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश।
जानें- क्यों ‘सच्ची रामायण’ का विवाद क्या है। sachchi ramayan dispute….?
पेरियार ई.वी. रामासामी:


दक्षिण भारत के सुकरात “पेरियार साहेब “

9 दिसंबर, 1969 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘सच्ची रामायण’ पर प्रतिबंध लगा दिया। इसी के साथ पुस्तक की सभी प्रतियों को जब्त कर लिया गया। उत्तर भारत के पेरियार नाम से चर्चित हुए प्रकाशक ललई सिंह यादव ने जब्ती के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। वे हाईकोर्ट में मुकदमा जीत गए। सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट में इस ऐतिहासिक मामले की सुनवाई तीन जजों की खंडपीठ ने की। खंडपीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्ण अय्यर; तथा दो अन्य न्यायमूर्ति पी.एन. भगवती और सैयद मुर्तज़ा फ़ज़ल अली थे। 16 सितंबर 1976 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सर्वसम्मति से फैसला देते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में निर्णय सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ललई सिंह यादव ने हिंदी में ‘सच्ची रामायण’ को प्रकाशित कर एक ऐतिहासिक कार्य को अंजाम दिया।
“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा
तुरंत ब्लड शुगर लेवल के स्तर को कैसे कम करें? Sugar Level Kam Karne ka Gharelu Upay
पहला उपाय
दूसरा उपाय:

शुगर को कम करने के लिए क्या खाना चाहिए ?
डायबिटीज में अरहर की दाल, काबुली चने, हरे चने, कुलथी की दाल का सेवन अधिक करना चाहिए. डायबिटीज में कौन-से फल खाने चाहिए? शुगर के मरीज सेब, संतरा, आड़ू, बेरीज, चेरी, एप्रिकोट, नाशपाती और कीवी जैसे फल हर दिन खा सकते हैं. आप बिना गुड़ के उबाली हुई शकरकंद का सेवन भी कर सकते हैं. डॉ अजय अनंत चौधरी Dt.21-12-2022
मधुमेह के लिए प्राकृतिक घरेलू उपचार का अवलोकन।
मधुमेह रोग (Diabetes) एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति के रक्त शर्करा ( blood sugar ) का स्तर सामान्य शर्करा के स्तर से ऊपर होता है। हम जो भी खाना खिलते है उसके पाचन के बाद वह ग्लूकोस बन जाता है। यह ग्लूकोस (glucose) खून के ज़रिये विभिन शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचता है। और ऊर्जा पैदा होती है। इसलिए खाना खाते ही ग्लूकोस की मात्रा खून मे बढ़ जाती है। ग्लूकोस की मात्रा बढ़ते ही इन्सुलिन (insulin) नाम का हॉर्मोन (hormone) सतर्क हो जाता है और वह इस ग्लूकोस को शरीर की कोशिकायों मे प्रवेश करने मे मदद करता है।

जब इन्सुलिन की कमी होती है या शरीर इन्सुलिन प्रतिरोधक (insuline resistance) हो जाता है तो ग्लूकोस का कोशिकाओं मे प्रवेश कम हो जाता है। जिस कारण ग्लूकोस की मात्रा खून मे ज़ायदा हो जाती है। इस स्तिति को डायबिटीज या मधुमेह कहते है।

डायबिटीज को नियंत्रण करने के लिए ऐसा खाना, खाना चाहिए जो आप के ग्लूकोस की मात्रा को ज़ायदा नहीं बढ़ाये या अचानक तेज़ी से ग्लूकोस के स्तर को असंतुलित कर दे। डायबिटीज के मरीज़ों को इसलिए अपने खान पान पर बहुत धयान देना चाहिए।
घर पर प्राकृतिक रूप से मधुमेह का इलाज कैसे करें, इसका सरल उपाय है कि हमें अपने द्वारा खाए जाने वाले भोजन को भली भांति समझना चाहिए। कुछ खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ाते हैं। ये उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (High Glycemic index)
संविधान के अनुच्छेद
अनुच्छेद 14 से 18 समानता का अधिकार:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 और 18 के तहत समानता का अधिकार दिया गया है। ये लेख नागरिकों को कानून के समक्ष समान व्यवहार और कानून की समान सुरक्षा, सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करते हैं और भेदभाव और अस्पृश्यता को रोकते हैं जो सामाजिक बुराइयाँ हैं।
अनुच्छेद 14 से 18 समानता का अधिकार:
अनुच्छेद 14 के अनुसार : भारत राज्य क्षेत्र में राज्य के किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता और विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा इस अनुच्छेद में की दो बातें निहित है। यह अनुच्छेद बहुत व्यापक दृश्टिकोण के लिए संविधान में सम्मलित किया गया है।
विधि के समक्ष समानता : विधि के समक्ष समानता यह ब्रिटिश संविधान से ग्रसित किया गया है यह अनुच्छेद कानून समानता का नकारात्मक दृष्टिकोण है इसमें निम्न तीन अर्थ निकलता है।
1 – देश में कानून का राज:
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3-विधानी वर्गीकरण : भारतीय संविधान की विधानी वर्गीकरण के सिद्धांत का प्रतिपादन करता है जो अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है विधानी वर्गीकरण का अर्थ है कि यदि एक व्यक्ति की अपनी आवश्यकता है परिस्थितियों के अनुसार अन्य से भिन्न है तो उसे एक वर्ग माना जाएगा और समानता का सिद्धांत उस पर अकेले लागू होगा लेकिन इसका आधार वैज्ञानिक तर्कसंगत या युक्त होना चाहिए।
इसमें नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत निहित है। यह अनुच्छेद भारतीय संविधान का मूल ढांचा है। इसमें विधि के शासन का उल्लेख है। इसमें सर्वग्राही समानता का सिद्धांत पाया जाता है।
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